नई दिल्ली, एमपी मीडिया पाइंट 

भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या लॉक डाउन की सफलता से नियंत्रण में हैं, पर संख्या बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम कोव-इंड-19 के अनुसार संक्रमितों की संख्या बड़ी संख्या में पहुंच भी सकती है। ऐसी स्थिति से निपटने लिए भारत में मौजूदा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल उपकरण नाकाफी है, यानी इसमे तेजी से इजाफ़ा करना जरूरी हैं। 

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में करीब 32 हजार सरकारी, सेना और रेलवे के अस्पताल हैं इनमें करीब 4लाख बेड हैं। निजी अस्पतालों की संख्या 70 हजार के करीब हैं। इसके अलावा क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, कम्युनिटी सेंटर भीहैं। सब मिलाकर करीब 10 लाख बेड होते हैं। आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारत में करीब 1700 लोगों पर एक बेड है। अब आईसीयू और वेंटिलेटर की स्थिति देखें तो यह भी काफी कम है।इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक,देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू बेड हैं। जबकि 40 हजार वेंटिलेटर मौजूद है। इसमें भी महज 10 प्रतिशत ही खाली हैं।


बड़े शहरों में ही हैं आईसीयू


इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर के अध्यक्ष डॉ. ध्रुव चौधरी के मुताबिक, देश में लगभग 40 हजार एक्टिव वेंटिलेटर हैं, जो ज्यादातर सरकारी मेडिकल कालेज, मेट्रो शहरों के निजी अस्पतालों व सेमी मेट्रो शहर के अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं। फ़िलहाल छोटे शहरों व कस्बो में इसकी संख्या काफी कम है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए भारत को अगले महीनों में अतिरिक्त 50 हजार वेंटिलेटर और अस्पतालों में 2 लाख से ज्यादा बेड की जरूरत पड़ सकती है। जबकि आईसीयू बेड की करीब 70 हजार जरूरत पड़ सकती है। इस कमी की पूर्ति के लिये अलग-अलग स्तर पर राज्य सरकारों ने इसमे वृध्दि के लिये गंभीर व सकारात्मक कोशिशें शुरू भी कर दी हैं।


दुनियाभर में हैं वेंटिलेटर का संकट


कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज में वेंटिलेटर की सबसे अहम भूमिका होती है। सांस लेने में तकलीफ होने पर वेंटिलेटर का ही सहारा होता है। पूरी दुनिया इस वक्त वेंटिलेटर के इंतजाम में लगी है। यूरोप के कई देश वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनियों को आर्डर कर रहे हैं।


अन्य देशों के अस्पतालों में भी है बेड का संकट


अस्पतालों में बेड का संकट केवल भारत में नहीं है। बल्कि कोरोना की शुरूआत करने वाले चीन में भी हैं। यहां प्रत्येक 1 हजार नागरिकों पर 4.2 बेड है। यही कारण है जब कोरोना का संकट यहां ज्यादा था तो बड़ी संख्या में होटल्स को अस्थाई हॉस्पिटल में बदल दिया गया था। इसी तरह फ्रांस में प्रत्येक 1 हजार नागरिक पर 6.5, दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4 और अमेरिका में 2.8 बेड हैं। येआंकड़े वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) से लिए गए हैं।

*डॉक्टरों की संख्या भी जरूरत से कम है*
डॉक्टरों की संख्या पर नजर डाली जाए तो यह भी जरूरत की अपेक्षा कम है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल के मुताबिक देश भर में 2018 तक साढ़े 11 लाख एलोपैथिक डॉक्टर उपलब्ध हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि हर 1 हजार मरीज पर 1 डॉक्टर का होना चाहिए। 135 करोड़ की भारत की जनसंख्या में डॉक्टरों की संख्या कम है और डब्ल्यूएचओ के नियम के मुताबिक़ तो बिलकुल भी नहीं है।

भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। ये आंकड़े बता रहे हैं कि आने वाले दिन मुश्किलों वाले हो सकते हैं, अतः देश के नागरिकों को शासन प्रशासन द्वारा सुरक्षित व स्वस्थ रखने हेतु जारी की गई गाइडलाइन का सम्पूर्ण पालन करना आवश्यक हैं।
Share To:

Post A Comment: