ग्वालियर-चंबल की 16 विस सीटें- दांव पर सिंधिया की साख
08 विस सीटों पर सिंधिया समर्थक आमने-सामने


विजया पाठक

     मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 03 नवंबर 2020 को उपचुनाव होने वाले हैं। कांग्रेस और बीजेपी के औपचारिक रूप से सभी 28-28 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। उम्‍मीदवारों को देखकर लग रहा है कि यह चुनाव कांग्रेस बनाम कांग्रेस ही है। क्‍योंकि बीजेपी ने 28 में से 25 उम्‍मीदवार तो उन्‍हें की बनाया है जो कभी कांग्रेस में ही हुआ करते थे। यानि ये सिंधिया समर्थक हैं। इन चुनावों में सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा तो सिंधिया की होने वाली है। उनकी साख दांव पर लगी है। यह भी कहा जा सकता है कि इन चुनावों में मुख्‍य मुकाबला कमलनाथ बनाम सिंधिया ही होगा। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी चुनावी रण में है और उसने लगभग दो दर्जन सीटों पर प्रत्याशी अभी तक घोषित किए हैं। जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार 27 पर कांग्रेस और मात्र आगर सीट पर भाजपा विजयी हुयी थी। आगर में भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन के कारण उपचुनाव की नौबत आई है। कुल 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल से हैं, जहां पर इसी वर्ष कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव माना जाता है। सिंधिया और उनके समर्थक राज्य के मंत्री इस बार भाजपा के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। शेष बारह सीटें इंदौर, उज्जैन, भोपाल और सागर संभागों से संबंधित हैं। सबसे दिलचस्प मुकाबला ग्वालियर चंबल की 16 विधानसभा सीट पर होने वाला है। मुकाबला इस लिहाज से भी दिलचस्प होगा कि इस बार आठ विधानसभा सीटों पर सिंधिया समर्थक आमने-सामने हैं। दरअसल कांग्रेस पार्टी ने ग्वालियर चंबल की जिन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है उनमें से आठ चेहरे ऐसे हैं जो कभी सिंधिया के कट्टर समर्थक थे। लेकिन सिंधिया के दल बदलने के बाद सिंधिया के यह समर्थक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में नहीं गए। कांग्रेस ने आठ सीटों पर सिंधिया समर्थक को ही कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। कांग्रेस में जिन 8 सीटों पर सिंधिया समर्थकों को चुनाव मैदान में उतारा है,उनमें दिमनी से रविंद्र सिंह तोमर, अंबाह से सत्य प्रकाश सखवार, ग्वालियर से सुनील शर्मा,डबरा से सुरेश राजे,अशोकनगर से आशा दोहरे,जोरा से पंकज उपाध्याय, पोहरी से हरी वल्लभ शुक्ला और मुंगावली से कन्हैया राम लोधी शामिल हैं। बहरहाल, इस बार का उपचुनाव बेहद दिलचस्प रहने वाला है। कभी ग्वालियर, चंबल इलाके में सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस का झंडा उठाने वाले चेहरे अब सिंधिया के खिलाफ उपचुनाव में मैदान में हैं। यानी कि ग्वालियर चंबल की आठ सीटों पर सिंधिया के पुराने कांग्रेसी समर्थक और सिंधिया के मौजूदा भाजपाई समर्थकों के बीच मुकाबला होगा। वहीं ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों में से आठ सीटों पर शिवराज कैबिनेट के मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। शिवराज सरकार में काबिज मंत्री उपचुनाव में जीते तो उनकी राजनीति चलती रहेगी। अगर इन मंत्रियों को नकामी मिली तो न सिर्फ इन मंत्रियों का राजनीतिक भविष्य संकट में आ सकता है बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के रूतबे पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।

विजया पाठक

             इन मंत्रियों की अग्नि परीक्षा- ग्वालियर चंबल अंचल में शिवराज सिंह चौहान मंत्री मंडल के आठ मंत्रियों को चुनावी अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। कैबिनेट मंत्री एदल सिंह, प्रधुम्न सिंह, इमरती देवी और महेंद्र सिसौदिया चुनावी मैदान में है, तो वहीं राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, सुरेश राठखेडा, गिर्राज दंडौतिया और बृजेंद्र यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं।

             राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सूत्रों के अनुसार भाजपा के पांच से छह मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ सकता है। जिसको लेकर संघ पदाधिकारियों ने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को अवगत कराया गया। लेकिन उन्होंने प्रत्याशियों को बदलने से इंकार कर दिया है। जिससे संघ सिंधिया से भी नाराज है। पिछले चुनाव में कांग्रेस से टिकट लड़ कर एदल सिंह, इमरती देवी, प्रधुम्न सिंह, महेंद्र सिंह, ओपीएस भदौरिया, गिरिराज दडौतिया, सुरेश राठखेड़ा, बृजेंद्र सिंह यादव ने भाजपा नेताओं को हराया था लेकिन इस बार कई की हालत खस्ता है। क्षेत्र में इन मंत्रियों का विरोध हो रहा है। शुरूआती रूझानों से तो यही लग रहा है कि क्षेत्र की जनता दल बदल के कारण इन नेताओं से खफा है। अब देखना होगा आगामी चुनाव में जनता कहां तक अपनी नाराजगी निकालती है। गौरतलब  है कि मध्यप्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 202 विधायक हैं। इनमें भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय शामिल हैं। इस तरह कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में पूर्ण सदन की स्थिति में जादुई आकड़ा यानी कि बहुमत साबित करने के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या 116 है।

विजया पाठक,                                           

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